Sunday, October 21, 2012

मुन्ना-सर्किट on Late Mark

मुन्ना : ये सर्किट आज आपुन का दिमाग सटकेला है.
सर्किट : भाई क्या हुआ किसने मूड ख़राब किया? साले का नाम बोलो अभी जाके ६ के ६ डाल देता हु.
मुन्ना : ये साले सर्किट तू कब सुधरे गा रे. हर बात पे तू ६ के ६ उतारने की बात करता है..? आज पिने का मन कर रहा है सर्किट?
सर्किट : भाई तुमने आज तक कभी शराब को हाथ नहीं लगाया..?
मुन्ना : ये सर्किट आज पिने का मन कर रहा है? पिला ना रे?
सर्किट : भाई आखिर बात क्या है? हुआ क्या??
मुन्ना : सर्किट तुजे तो पता है आपुन अस्पताल जाने के लिए घर से बराबर टाइम पे निकलता है, साला आपुन तो बससे अस्पताल जाता है तो जाहिर है आपुन थोडा लेट पहुचेगा। तो अस्पताल वालो ने आपुनका लेट मार्क लगाया और पैसेभी काट लिए.
सर्किट : तो भाई आप अपनी गड्डी से क्यों नहीं जाते?
मुन्ना : आरे सर्किट तू तो मामू है, सोच अगर हर कोई ऑफिस जाने के लिए अपने अपने प्राइवेट वेहिकल इस्तमाल करेगा तो तू बोल ट्राफ़िक की तो माँ बेहन.. सॉरी यार वाट लगेगी के नहीं?
सर्किट : भाई ट्राफिक की लगती है तो लगने दो आपुन को क्या करने का? आपुन टाइम पे पंहुचा ना बस!
मुन्ना : अबे सर्किट तू अब दिमाग की दही बनारेला है. मानले जो लोग ऑफिस आने-जाने के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट मतलब लोकल ट्रेन, बसेस का इस्तमाल करते है वो सब लोग अगर खुद की वेहिकल से आने-जाने लगे तो सोच रोड पे कितनी भीड़ होगी. सोच सकता है तू?
सर्किट : वो तेरी..! भाई में तो..मतलब... पुरे सिटी की वाट लगेगी। भाई अपुन जब गाड़ी चलाते है तो बसवाले के बारे में कभी नहीं सोचते.
मुन्ना : वहीच तो बोल रहा है आपुन? और साला सोच एसे सिटी में अपुन ठीक से सास भी नहीं ले पाएंगे। आज कल गड्डी खरीद ने के लिए किसके पास पैसे नहीं? चुटकी भर में लोन पास होता है. एक सिंपल सी बात है जो लोग लेट आते है उनको लेट छोड़ने का पर पैसे नहीं काटने का रे.. और रही बात अपुन की तो अपुन क्या 1-2 घंटा लेट नहीं होता.. बस 10-15 मिनट का फासला होता है.
सर्किट : भाई बराबर बोला पर ऑफिस के भी कुछ रूल्स होते है ना भाई.
मुन्ना : सर्किट रूल्स तोड़ने की कौन बात करता है। पर 10-15 मिनट के बाद लेट मार्क लगाना गलत बात है। इन लोगो को ऑफिस टाइम के अन्दर कोई अपने बॉयफ्रेंड या गर्ल-फ्रेंड के साथ चैटिंग या फिर कैंटीन में बैठकर टाइम पास करता है तो वो चलता है। छोड़ ना यार अपुन को क्या करने का है क्योन क्या करता है.
सर्किट : भाई में तो बोलता हु जो लोग अपने ऑफिस को पब्लिक ट्रांसपोर्ट से आते है उनके लिए ये लेट मार्क का रूल थोडा अलग करना चाहिए.
मुन्ना : ये हुई न बात सर्किट. ज़िन्दगी में तुमने दूसरी बार कुछ सही बोला है.
सर्किट : और भाई पेहली बार?
मुन्ना : LOL...
सर्किट : भाई कितना पैसा काट लिया?
मुन्ना : चल छोड़ ना रे सर्किट. कोण कम्बक्त पैसा कमाने के लिए काम करता है. हम तो काम करते है ताकि कुछ सिख सके. चल आज तू पिलाएगा अपुन की आज-कल कड़की है।